
रिपोर्टर दिलीप कुमरावत MobNo 9179977597
मनावर। जिला धार।। स्थानीय बस स्टैंड गांधी चौराहे से 2 किलोमीटर की दूरी पर टोंकी मनावर मार्ग पर स्थित ग्राम काली किराय स्थान पर मानता गणेश मंदिर है। कहते हैं कि यहां पर जो भी मानता (मन्नतें) ली जाती हैं। वह अवश्य पूरी होती हैं।
मानता गणेश की प्रतिमा लगभग सैकड़ों वर्ष पहले की है। यह स्वयं भू प्रतिमा है। बताया जाता है कि मान नदी में प्रकट हुई थी। जिसे यहां छोटी देवली बनवा कर स्थापना की गई।मान नदी के किनारे स्थित होने से मानता गणेश नाम पड़ा।बरसों बरस यहां गणेश जी एक देवली में विराजित रहे। वीरान एकांत में होने के कारण यदा कदा कोई दर्शनार्थी पहुंचता था। आसपास के रहवासी और किसान देखरेख और पूजा अर्चना करते रहे। जैसे जैसे गणेश जी की महिमा का प्रचार प्रसार हुआ यहां दर्शनार्थियों की लंबी लंबी कतार लगना शुरू हो गई। मंदिर परिसर को सुरक्षित कर जन सहयोग से यहां जीर्णोद्धार किया गया। सबसे पहले ऊबड़ खाबड़ रास्ते को दुरुस्त कर पहुंच मार्ग को आवागमन के लिए सुचारू और सुगम बनाया गया।
मंदिर समिति के इंदरसिंह राजावत ने बताया कि सन 1994 तक एक छोटी देवली में गणेश जी विराजित थे। सन 1995 में मैने अशोक काकरेचा, दिनेश खटोड़ के साथ मंदिर के जीर्णोद्धार का बीड़ा उठाया। गणेश जी की कृपा और जन सहयोग से यहां भव्य मंदिर, बगीचा, और प्याऊ का निर्माण कराया गया। सन 2004 में ज्योतिषाचार्य पंडित कैलाश व्यास की प्रेरणा से यहां प्रति वर्ष गणेश चतुर्थी पर गणेश यज्ञ और गणेश अथर्वशीर्ष जाप कराया जाता रहा है। जो निरंतर जारी है। इस साल गणेश यज्ञ का 21वा वर्ष है।
मानता गणेश मंदिर पहाड़ी पर जमीन से लगभग 150 फीट की ऊंचाई पर स्थापित है। मंदिर के पास ही मान नदी के तट पर एक शिवलिंग गुफा में विद्यमान है। लगभग 90 पेढ़ियां उतरकर वहां पहुंचा जा सकता है। पहाड़ से पानी रिसकर शिवलिंग के ऊपर टपकता रहता है। यहां पहाड़ पर सात मात्रा देवी की आकृति बनी हुई है। इसके ठीक नीचे मान नदी कलकल करती अपने पूर्ण वेग से बारह माह बहती है। यहां बहुत ही सुंदर मनोरम दृश्य देखने को मिलता है। सामने पश्चिम में पहाड़ पर एक गड़ी (किलेनुमा आकार, जो कि राजा महाराजाओं के समय सुरक्षा हेतु बनाई जाती) स्थित है। जिसे राजा बख्तावरसिंह के समय बनाया गया था। यहां बहती हुई नदी व सूर्य अस्त का दृश्य बहुत ही आकर्षित करता है। क्षेत्र के लोगों में गणेशजी के प्रति अटूट आस्था है। यहां दर्शन करने आस पास के गांवों से भी भारी तादाद में भक्तगण आते हैं। बुजुर्गों का कहना है कि नगर के प्रसिद्ध मंगला देवी मंदिर और मानता गणेश मंदिर एक समान रेखा में दो पहाड़ों पर अलग अलग विद्यमान है मगर दोनों मंदिरो में प्रज्ज्वलित दीपक की ज्योति को आमने सामने देखा जाता था।
यहां मंदिर समिति ने कई निर्माण कार्य कराए जो भक्तों के लिए आर्कषक का केंद्र है। पूरे मंदिर प्रांगण में पेवर्स और बच्चों के लिए झूले, गर्मी से राहत के लिए फव्वारे, दर्शनार्थियों की सुविधा के लिए नारियल फोड़ने की मशीन और ठंडे पानी के लिए वाटर कूलर लगाया गया है। गणेश मंदिर के पीछे भगवान शिव पार्वती की विशाल झरने वाली प्रतिमा का निर्माण कर दर्शनार्थियों के आने जाने के लिए पक्की पुलिया का निर्माण भी किया गया है। जो कि सेल्फी पॉइंट के रूप में प्रसिद्ध है। पूरे मंदिर परिसर में कई देवी देवताओं के छोटे छोटे मंदिर हैं। जिसमे बजरंगबली, देवादिदेव महादेव ओर अन्य मूर्तियां स्थापित है।
उल्लेखनीय है कि जैसा मंदिर का नाम है वैसा ही काम है। मंदिर में पर्याप्त पानी की व्यवस्था होने से यहां सर्वसुविधायुक्त बगीचे का निर्माण कर फूल और फलों के पौधे लगाए गए।
नगर तथा आसपास के गांवों के परिवारों द्वारा अपने घर परिवार में कोई भी शुभ कार्य के पहले भगवान मानता गणेश के चरणों में शीश झुकाकर ही कार्य का शुभारंभ किया जाता है। भक्तों का कहना है कि यहां सच्चे मन से मान मन्नत लेने से जरूर पूरी होती है। नगर और आसपास के क्षेत्र में कोई भी नया वाहन लाता है तो यहां पहले लाकर पूजा अर्चना की जाती है।
प्रति बुधवार और गणेश चतुर्थी को रहती है ज्यादा भीड़
27 अगस्त बुधवार गणेश चतुर्थी से दस दिवसीय गणेश उत्सव प्रारंभ हो रहा है। जो 06 सितंबर शनिवार अनंत चतुर्दशी तक चलेगा।
मंदिर के पुजारी दिनेश बैरागी ने बताया कि गणेश चतुर्थी के दिन प्रातःकाल विघ्नहर्ता गणेश जी की विधि विधान से पूजा अर्चना कर गणेश यज्ञ किया जाएगा। जिसमें प्रमुख आचार्य पंडित मयंक जोशी तथा मुख्य यजमान हरिओम पाटीदार कुवाली रहेंगे।
इस अवसर पर दिनभर शुद्ध मोतीचूर के लड्डू की महाप्रसादी का वितरण किया जाएगा। गणेश उत्सव पर पूरे 10 दिनों तक यहां विशेष पूजा अर्चना, श्रृंगार और महाप्रसादी का वितरण किया जाता है। गणेश उत्सव दौरान 10 दिनों तक भारी तादाद में भक्त दर्शन करने यहां आते है। साथ ही हर सप्ताह बुधवार को भी यहां भारी भीड़ रहती है। सुबह 7:00 बजे से देर रात 9:00 बजे तक भक्तों का आने जाने का क्रम प्रतिदिन चलता रहता है।
।।ॐ गं गणपते नमः।। हर हर महादेव।। नर्मदे हर।।